Loading...

जीव जगत हमेशा से लुभावना और रहस्यमयी लगता है। जीवन-सृजन एक जटिल प्रक्रिया भी। बच्चों के लिए इस विषय पर छिटपुट किताबें ही प्रकाशित हैं। विगत महीनों में एकलव्य प्रकाशन, भोपाल से इन्हीं विषयों को छूती दो प्यारी चित्र किताबें प्रकाशित हुईं हैं। प्यारी इसलिए क्योंकि ये किताबें पहली नज़र में ही बहुत आकर्षित करती हैं। अपने कवर या भीतर बने चटक रंगों में बने खुले चित्रों, बेहतरीन छपाई और कंटेन्ट के प्रस्तुतिकरण की वजह से। इन किताबों के शीर्षक भी अलग से हैं मानों जैसे कविता की गई हो – ‘तितली खिले हवा के फूल’ (Leela and the Butterfly) और ‘अंडे दी गल’ (Bobu & the Egg)।

ये किताबें मूल रूप से अँग्रेजी में ज्योत्सना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित चार किताबों की सीरीज़ का भाग हैं। यह सीरीज़ पूर्व विद्यालय छात्रों को विभिन्न जीवन-चक्रों के बारे में सिखाने के लिए तैयार की गई है। इन दोनों किताबों की लेखिका कंचन शाईन हैं। इलस्ट्रेशन राधिका टिपणीस के है। एकलव्य के लिए हिन्दी अनुवाद कवि और संपादक सुशील शुक्ल ने किया है। मुख्य रूप से कविता शैली में लिखी ये किताबें शुरुआती पाठकों के लिए हैं।

‘तितली खिले हवा के फूल’ किताब मुख्य पात्र लीला के बहाने से तितली के जीवन चक्र पर बात करती है। मसलन अंडे से इल्ली, इल्ली से ककून और फिर ककून से तितली।

जबकि ‘अंडे दी गल’ बोबू के बहाने अंडे से मुर्गी और फिर मुर्गी से अंडे तक के चक्र को प्रस्तुत करता है। दोनों किताबों में प्रयुक्त सभी जानकारियाँ कविताई अंदाज़ में प्रस्तुत की गई हैं। भाषा का सम्मोहन को समाहित करते हुए ये किताबें बखूबी जीवन चक्र ( प्राथमिक कक्षाओं के पर्यावरण अध्ययन विषय) की जानकारी प्रस्तुत करती हैं। ऐसे प्रयोग पूर्व में भी बाल-साहित्य में होते रहे हैं। जहाँ कथा-कथेतर विषयों को कविता शैली में प्रस्तुत किया गया हो। जानकारी के अतिरिक्त बोझ से मुक्त किताब की भाषा बिल्कुल सहज और सरल हैं। हिन्दी के साथ-साथ ऊर्दू और पंजाबी ज़बान का प्रयोग और तुकबंदी के प्रयोग की वजह से इनका पाठ सरस और प्रभावी बन गया है। इन कविताओं में एक चुहल भी है। जो अवश्य ही पाठकों को गुदगुदाएगा। एक बानगी देखते हैं

पहले एक सिर बाहर झाँका

और फिर वह इल्ली आई

इतने सारे पैरों वाली

इल्ली दी पिल्ली आई। (तितली खिले हवा के फूल)

या फिर

मुर्गी बैठी थी अंडे पर

अंडे पर मुर्गी बैठी थी

मुर्गी मत बोलो उसको

वह अंगद की बेटी थी। (अंडे दी गल)

इलस्ट्रेशन में जल रंगों का प्रयोग है। चित्र खुले हुए हैं। पात्र और घटनाओं को नजदीक से दिखाने की कोशिश की गयी है। जीवन चक्र के उत्पति, स्थिति और लय को ध्यान में रखते हुए रंगों का चयन और उनका प्रयोग इस तरह से किया गया है कि पूरी किताब से गुजरना एक खुशगवार अनुभव प्रतीत होता है।

दोनों किताबों के अंत में एक-एक चित्र गतिविधियाँ दी गई है। जिसमें तितली और मुर्गी के जीवन चक्रों के चरणों को को क्रम देने हैं। जो पाठक के किताब से सीखे गए अनुभवों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं।

इन किताबों के सरल हिन्दी अनुवाद और जीवन चक्रों के रोचक तरीके से प्रस्तुति अवश्य ही पर्यावरण अध्ययन और भाषा के शिक्षकों उपयोगी लगेगी। इनके किताबों का उपयोग रीड अलाउड (बातचीत करते हुए पढ़कर सुनाना) गतिविधि के लिए पाठक खुद से भी इन्हें पढ़ते इनका आनंद लेंगे।

इन किताबों के प्रकाशन के लिए एकलव्य को बधाई।

हमारी कहानियों की किताबें

पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया ,यानी पारी, ग्रामीण भारत में अधिकार-च्युत लोगों व समुदायों की सच्ची जीवन-स्थितियों पर आधारित कथा-पुस्तकों का निर्माण कराती है…

Arun Kamal Parag Reads 1st September 2023 Hindi

अँधेरे में लाइट हाउस

दोस्ती विश्व साहित्य का प्राचीन एवं शाश्वत विषय है। पंचतंत्र और ईसप-कथाओं से लेकर आज की लोकप्रिय फ़िल्मों तक अलग अलग काल और समाज में दो लोगों के साथ होने…

Arun Kamal Parag Reads 15th June 2023 Hindi